देवबंद जारी रहा 48 वे दिन भी महिलाओं का धरना, बच्ची की मौत के अगले दिन धरने में पहुंची 'मां'

उत्तर प्रदेश के देवबंद में खराब मौसम के बावजूद नागरिकता संशोधन कानून को लेकर ईदगाह मैदान में महिलाओं का धरना प्रदर्शन 48वें दिन भी जारी रहा। वहीं बेटी की मौत से महज चौबीस घंटे बाद ही मां नौशाबा फिर से आंदोलन का हिस्सा बन गई। इस दौरान उसने रोते हुए कहा कि महिलाएं अपने बच्चों के भविष्य की खातिर देशभर में सड़कों पर निकल कर धरना प्रदर्शन कर रहीं हैं। 



धरने पर डटी आंदोलनकारी महिलाओं ने कहा कि एनपीआर, एनआरसी का पहला कदम है। इसलिए इसका पूर्ण रुप से बहिष्कार किया जाना चाहिए, साथ ही उन्होंने प्रदेश की योगी सरकार से दूसरे राज्यों की तरह एनपीआर के खिलाफ विधेयक लाने की मांग की।मुत्तहिदा ख्वातीन कमेटी के बैनर तले चल रहे अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन में कमेटी अध्यक्ष आमना रोशी ने कहा कि केंद्र सरकार ने संविधान को ताक पर रखकर सीएए लागू किया है। जिसे किसी भी हाल में मंजूर नहीं किया जाएगा।

असम में एनआरसी को लेकर उग्र विरोध को देखते हुए सरकार ने इसे एनपीआर के नाम से लागू किया है, जबकि सच्चाई यह है कि एनपीआर एनआरसी का पहला कदम है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसमें जिस तरह के कॉलम तैयार किए हैं उनका भर पाना नामुमकिन है। 


इरम उस्मानी ने एनपीआर के पूर्ण बहिष्कार का आह्वान करते हुए कहा कि सरकार हठधर्मी करने पर आमादा है, जबकि देश की जनता सड़कों पर उतरकर सीएए का पुरजोर विरोध कर रही हैं। इसलिए सभी नागरिकों को चाहिए कि वह एकजुट होकर इसका विरोध करते हुए सरकार को इसे वापस लेने को मजबूर करें।


उन्होंने कहा कि कहीं ऐसा न हो कि आने वाले समय में इस पर चुप्पी साधने वालों को पछतावा होगा और तब उनके पास डिटेंशन सेंटर में जाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगा। फरीहा उस्मानी और फौजिया ने कहा कि सीएए को लेकर कई राज्य इसे अपने यहां लागू करने से साफ इनकार कर चुके हैं। इसलिए प्रदेश की योगी सरकार से मांग है कि वह भी इसके खिलाफ विधेयक लाए। 



उधर, गुरुवार को अपनी 43 दिन की बच्ची को खो देने के बाद शुक्रवार को नौशाबा फिर से ईदगाह मैदान में सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन में पहुंच गई। इस दौरान नौशाबा की आंखों से आंसू बह रहे थे। 

 

उसने रोते हुए कहा कि उसकी बेटी को तो अल्लाह ने वापस ले लिया, लेकिन जब देशभर में महिलाएं अपने बच्चों के भविष्य के लिए सड़कों पर आकर आंदोलन कर रही हैं। ऐसे हालात में क्या वह घर में बैठकर मातम मना सकती है। नौशाबा के जज्बात सुनकर ईदगाह मैदान में बैठीं हजारों महिलाओं की आंखें भी नम हो गईं। महिलाओं ने उसे गले से लगा लिया।